इन अदृश्य बंधनों में, बंध जाने की आरजू क्यों है ? इन अदृश्य बंधनों में, बंध जाने की आरजू क्यों है ?
यही वज़ह है कि दम्पत्ति उम्र भर साथ होते हैं। यही वज़ह है कि दम्पत्ति उम्र भर साथ होते हैं।
समय सागर से मुक़ाबला क्या जीवन रूपी कण का। समय सागर से मुक़ाबला क्या जीवन रूपी कण का।
खुद को समेटने का वक़्त भी आएगा ! खुद को समेटने का वक़्त भी आएगा !
वक़्त की हर थपेड़ों को सहना जिंदगी की सच्चाई बन गई। वक़्त की हर थपेड़ों को सहना जिंदगी की सच्चाई बन गई।
लौट जाए वहाँ, जहाँ खुद को छोड़ आये हैं, वहाँ जहाँ से ज़िन्दगी को मोड़ लाये हैं। लौट जाए वहाँ, जहाँ खुद को छोड़ आये हैं, वहाँ जहाँ से ज़िन्दगी को मोड़ लाये हैं।